शायरी मदहोश 1999 /ROMANTIC SHAYARI MADHOSH 1999 /surendra sagar amg /प्रेमी प्रेमिकाओं एवं दिलवालों की रोमांटिक शायरी part 2/4 surendra sagar

surendra sagar
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शायरी मदहोश 1999 /ROMANTIC SHAYARI MADHOSH 1999 /surendra sagar amg /प्रेमी प्रेमिकाओं एवं दिलवालों की रोमांटिक शायरी part 2/4दिल बालाै की शायरी/हिन्दी शायरी /https://youtu.be/yhGsNUYGzko

कैसे भूल जाऊं उसे, वो परियों की रानी है ! 
पर कैसे भुलाऊं उसे ,जो किसी और की दीवानी है!!

कितने दर्द की बात है ,जिसे सुनकर आंख उभर आई !
बातें तो खत्म हुई नहीं ,पर डायरी भर गई !!

ना जाने हम कब कैसे, एक दूजे को मिले हैं जब से !
दो जिस्म एक जान बनके  फरियाद करता हूं रब से!!

तन्हाई है बेकरारी है , और है यह उदासी पन ! 
झुकी निगाह है चंचल बदन है ,पर खामोश है यह मेरा मन !

थक गया हूं इन राहों में , करके तेरा इंतजार !
तुझे बिन देख मेरा , अधूरा है सिंगार !!

जिंदगी में पहली बार, क्या है तुझसे ही प्यार !
आजा आजा सपनों का राजा, सुन ले मेरी सांसो की पुकार !!
क्या तारीफ करूं तेरी , कि तू कितनी हसीन है !
विश्व की चर्चा में तो तुम , एक जैपनीज मशीन है!!

आपको क्या पता की मैं ,आपको कितना याद करता हूं! आपके होठों में मुस्कान रहे, मैं रब से यही फरियाद करता हूं !!

खूब सजी हैं आंखों में काजल जिनके, वह मेरे प्यारे चुना है !
मैं भी पहन लूंगा भाभी के हाथों से काजल कभी  ,
बस यही मेरी एक तमन्ना है !!

कहते हैं लोग याद उनको किया जाता है ,जो आंखों से दूर है !!इसलिए तो रब को याद करने पे, हम सब मजबूर हैं !!

 बहुत कुछ कर सकता हूं उसे, पर अभी तो करना बेकार है !सब कुछ करूगा एक दिन उसे, बस मुझे वक्त का इंतजार है !!

बहुत कीमती जिंदगी है मेरी ,मैं तेरे लिए क्यों बर्बाद करूं !जिंदगी दी है ईश्वर ने , फिर मैं तुझसे क्यों फरियाद करूं!!

खुद जियो औरों को भी जीने दो , रब से मैं यही फरियाद करता हूं! 
उसे तो बाद में ,पहले मैं तुमको ही याद करता हूं !!

पहले क्या था और अब क्या हु , और चाहत थी खूबसूरत सलोना !
दुकान का दुकान का कठपुतली हूं, रूम का हु एक चलता फिरता खिलौना !!

मंजिल थी कहां जाना था कहां ,पर तकदीर कहां ले आई ! 
ना कोई उमंग है हजारों गम है ,और दिल में है तन्हाई !!

कितनी तमन्ना है मेरे दिल में , तमन्नाओं का एतबार करना !आके भर लूंगा बाहों में तुमको ,अपने होठों से मेरे चुमन को तुम इजहार करना !!

कहां तनहाइयां कहां शिकवा मुझे, कुछ याद नहीं इन ख्वाबों ख्यालों में! 
झूम उठा है मेरा मन ऐसे ,जैसे झूमता हो शराब के प्याले में !!

ना हवा का झोंका हूं मैं ,ना मैं कोई तूफान हू !
शांति के लिए आया हूं मैं , बस दो पल का मेहमान हूं!!

शायर की जिंदगी है मेरी ,पर मैं खुद जिंदगी से परेशान हूं !चाहत के पीछे दौड़ता हूं मैं , पर मैं भविष्य से अनजान हूं !!
क्या बताऊं तुझे ए मेरे दिल की धड़कन , 
तु धड़कता है मेरे दिल में , 
होती है किसी औरों के दिल में चुभन!!

कितना खूबसूरत मुखड़ा है ,उतनाही मस्ती भरी आहट है तेरा!
क्यों खामोश रखी हो थरथरा दो होठों को ,कम से कम मुझे देख करके मुस्कुरा दो जरा!!

इन निगाहों को देखो ,जो अपनी चाहत के लिए रुकती नहीं !मोहब्बत चीज ही ऐसी है ,जिसे देखने में कभी झुकती नहीं!!

मैं खूबसूरती नहीं , दिल का पुजारी हूं ,
मैं दौलत नहीं ,नाम का भिखारी हूं!!

जिस जिंदगी में ना उमंग है ना तरंग है ,उनके लिए होली कैसा कुछ ऐसा ही जिंदगी है मेरी , एक कटी पतंग जैसा!!

मत डालो यह रंग मुझे, मैं इन रंगों से खुश नहीं! 
क्या फायदा ऐसे उमंगों से ,जो औरों को करें खामोश सही !!

किसको क्या बताऊं मैं ,मुझको तो अपनों ने बर्बाद किया !किसे दिखाऊ ये बर्बादी का नजारा ,कौन मुझे आवाद करेगा !!
क्या परिचय दूं मैं आपको ,मेरा परिचय ही एक पहेली है!!
दिल चुराके ले गई है वो ,पता चला वो आपकी सहेली है!!

ले आओ तनिक पास मेरे, मेरे सपनों की शहजादी को !
भटक गया हूं इन सपनों में मैं , ये मेरे खुदा मुझे सपनों से आजादी दो !!

इंतजार के पल-पल से मैं ,अपनी जवानी से गुजरने चला! 
कब खत्म होगा इंतजार की घड़ी, तब तक ना जाने मुझे में रहेगा क्या भला !!

ए मेरी दिलरुबा दिल जानी, तुम वहां खामोश क्यों बैठी हो !आखिर क्या कह दिया हमने, जो तुम हमसे रूठी हो!! 

                      सुरेन्द्र सागर

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