शायरी मदहोश 1999 /ROMANTIC SHAYARI MADHOSH 1999 /surendra sagar amg /प्रेमी प्रेमिकाओं एवं दिलवालों की रोमांटिक शायरी part 1/दिल बालाै की शायरी/हिन्दी शायरी /

surendra sagar
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प्यार करो या इनकार करो, मुझे तेरे लिए ही जीना है !!

जन्म जन्म में तुझे अपना बनाउ, तू ही मेरी प्यारी मीना है !!


मुर्गियों का वंश रखने के लिए, जरूरतें है मुर्गा की !

बहती हुई आंसुओं को बचा गई , एहसान है यह दुर्गा की !!


जीवन एक सफर है लंबी है बहुत ,

रास्ते में उतर जाओ तो रास्ता ही खत्म होता है !

लंबी सोचकर चलो तो पुरा ना कर पाता है  !! 


पत्थर होते तो नदी में रहते ,पर मिट्टी बन गए !

हवा होते तो उड़ते रहते , पर चिट्ठी बन गए !!


जिस दिन से उसे देखा हूं , वो मेरे नस-नस में बस गई है!

उसका करीब आना चाहता , मगर मजबूरी फस गई है !!


सूरत थी कैसी उनकी , जिसे देखकर होश उड़ाई है !

बनाने वालों की तारीफ करू क्या, जो कितने रिश्वत खाई है !!


मुंबई पटना घुमकर मुझे , मालूम हुआ यह दुनिया कैसा है !

दुनिया में अपना कोई नहीं , सब कुछ मेरा पैसा है !!


खूबसूरती आती है लड़कियों पर , उनकी अपनी चाल पर !

लड़कों को मजा आता है, हसीं लड़कियों की गांल पर !!


नफरत है तेरी ऐसी प्यार से ,जैसा प्यार तूने किया है !

हमदर्दी दिखाई तनहाई कि , पर बेवफा का नाम दिया है !!


बातों बातों में उसकी , सहेली रूठ गई !

कस के कलाई पकड़ी , उसकी चूड़ी फूट गई !!


-------_----------------पज 5------------------

प्यार किया है हम दोनों ,खाए हैं वो कशकशमे!

ना डरूँ दुनियां से अब ना रहू किसी का बस में  !! 


कह रही है तेरी होठों की लाली ,मैं हूं तेरा दिल का अरमान !!

आ गले से लगाकर दिल में समा जा ,नजरें है तेरे प्यार की पहचान  !! 


स्वर्ग से आई है वो , उनमें है ना कोई खराबी !

गोल गोल गाल है उसकी, होठ है लाल गुलाबी  !! 



तेरी हंसी मुस्कानों को देख ,मैं बेचैन सा रहता हूं !

आगे कुछ कहना चाहता पर ,सामने सब कुछ भूल जाता हूं!! 


चेहरा ना दिखाता मैं तुझे कभी , काश 

मुझे पता होता कि तुम मुझसे खफा हो !

अब कैसे समझाऊं इस दिल को मैं 

 कि तुम खुद कितनी बेवफा हो  !! 


देखते ही तू मेरे सांसों में बस गई मगर, !

मैं तुमसे प्यार करता हूं , बस एक बार हां कह दो अगर!! 


तेरी पुराने प्यार में , सहना सकूंगा !! 

तू पराई हो गई तो दिल की बातें कैसे कहूंगा !! 


सूरत रहता है आकाश में , शोभा नहीं किसी दुकान की! 

लड़की है नेपाल की कहना ना कोई हिंदुस्तान की  !! 

----------------------पेज 6 -------------------


पुस बीते माघ बीते , बीत गया सारा जुलाई !

तू भूली मुझको, मैं और कोलिया भुलाए  !! 


घर नहीं द्बार नहीं , ना मेरा कोई ठिकाना !

बन बन भटके गाता हूं जो, याद रखेगा सारा जमाना  !! 


शाम हो गई , सूरज डूब गया  ,चांद नशे में में कहां है! 

मुझे किसी की खबर नहीं, मेरा रब कहां है!! 


गोल गोल गाल है तेरे ,होठ हैलाल गुलाबी, 

मस्ताना हुस्न तेरे, और चाल है शराबी  !! 


प्यार जीवन का लंबा सफर है , पूरा करना कोई खेल नहीं! 

मैं हूं अपनी मंजिल में , कोई सेंट्रल जेल नहीं !! 






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