शायरी मदहाेश १९९९ /surendra sagar amg /shayari madhosh 1999/surendra sagar,part-2/5

surendra sagar
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kaise bhul jau use o pariyon ki rani hain  .
par kaise bhulau ise jo kisi aur ki diwani hain 

.इस जिंदगी में सनम , मोहब्बत का शिकवा नहीं! 

चाहूंगा हर पल तुम्हें, मेरी धड़कन कहता है यही!! 


मिलते हैं यहां सभी को वहीं, जो तकदीर ने बांटे हैं !

मेरी जिंदगी के सफर में यारों ,फूल नहीं सिर्फ कांटे हैं !


जिंदगी भी क्या है मेरी ,कभी हंसता नहीं सिर्फ रोता हूं !

चाहत से बनी सपनों की बिस्तर में ,ना जाने कब सो जाता हूं !!


इस जिंदगी में भी मैं , क्या कुछ नहीं खोया हूं! 

नींद भी खो गया मगर ,एक पल भी मैं ना सोया हूं!! 


कभी जागी गुजर जाती है रातें ,चाहत से सजी बातों में !

चैन ना आता है मुझे ,कभी अंधेरी रातों में !!


मिटा सकता हूं इस जिंदगी को मै, मेरी चाहत ही है बड़ी जरूर !

अभी तो कुछ कर सकता ना हूं मैं, मैं तो हूं अपनों से मजबूर !!


क्या दुनिया की रीत है , क्या है दुनिया का दस्तूर !

मेरी मंजिल करीब है , फिर भी लगता है मुझे क्यों दूर !!


जब से तुझको देखा हूं मैं , रात को नींद नहीं आती है! 

करवट बदलता रहता मगर, याद तेरी  तड़पाती है!!


कोई भी नहीं है इन वादियों में , किससे करूंगा मैं बातें! 

फूलों से चुनी है कांटो की बिस्तर में, कैसे कटेगी ये रातें!!


अपनी अदाओं से तू , लगती भोली भाली है! 

मस्ताना हुस्न तेरा ,और हंसी निराली है !!


पता चला मुझे यह कभी, तुम इस धरती में कदम रखा है जब !

बेचैनी छाई थी इस दिल में मेरे ,कि तुमसे मिलूंगा कब!!


तुमसे मिलने की तमन्ना  ही नहीं, बल्कि दिल भी बेकरार था !!

आंखों में झूठी तस्वीरें थी तेरी, 

फिर भी मुझे तेरी चेहरों पर ही ऐतबार था !!

 

बहुत याद आती हो तुम मुझे , चाह कर भी भूल नहीं पाता हूं !

सुबह शाम तेरी तस्वीर को यूं ही , देख देख कर रह जाता हूं!!


जो चीज नसीब में नहीं ,उसमें तमन्ना ही लिए क्या होगा !

बस यहां होगा तो वही जो मंजूरे खुदा होगा!! 



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