शायरी मदहाेश १९९९ /surendra sagar amg /shayari madhosh 1999/surendra sagar,part-2/3
आप आई अंदर तो, अंधेरा बाहर छा गया!
करण फूल की चमक से आपकी, घर में उजाला छा गया !!
आपके आने से, कितनी रोशनी है इस घरमे!
जितनी रोशनी कभी चांद सूरज ने भी न दी ,
कितनी तारीफ करूं आपकी जो,
आपने हमपर है मेहरबानी की !!
कितनी तारीफ है ,आपकी मुस्कानौ की!
फिर भी देर कर दी क्यों यहां आने में,
मुस्कुराती थी कभी वो मोनालिसा ,
जो गुजर गइ जमाने मे!!
आने की क्यो तकलीफ कीआपने,
फिर भी आई तो मुसकुरा दे जरा!
दो होठो की तारीफ है आपकी,
मोनालिसा जैसी है मुस्कान भरा !!
बहुत-बहुत आभारी हूं मैं आपकी,
ईतने तकलिफे उठाने की ,संभल कर चले इस महफिल में,
कहीं नजर न लग जाए परवाने की !!
कितनी तारीफ हैं आपकी,
फिर भी कहती है यह मेरी अदावत नहीं !
खुद ही फरमाइए यै मेरी दीवानी ,
क्या है आपकी चाहत सही!!
गीत मेरी चाहत है, संगीत है मेरा प्यार!
फिल्म दुनिया मेरी मंजिल है, कामयाबी है मेरा यार!!
फूलों की तरह खुश रहे ,भगवान से मांगु यही दुवाई बहना। .
सूरज जैसा चमकता रहे ,सुख दुख में मुस्कुराती रहना ।।
बहुत प्यारा लगता है ,मुझे प्यार की दुनिया ! ।
उससे ज्यादा प्यारा ,हो गया है मुझे मेरा गम!
कहां जाऊं और क्या करूं मैं यह दुनिया है बड़ी बेरहम है!!
मोनालिसा जैसी मुस्कान है तेरी, होठ है मधुशाला!
बहुत खुश नसीब होंगे वो ,जो है तेरे चाहने वाला !!
होठों पर हो तारीफ उनकी ,हाथों में होगा प्याला !
अपनी निगाहों से देखेगी जब, कहे कि उन्हें रंगीला !!
सच कहूं या झूठ कहूं ,कहने को कोई शब्द नहीं !
दिल देना तो मुझे ही देना ,पर देना न और कहीं !!
मेरे प्यार को देख दुनिया जले ,और जल जाने दो सारा जमाना !
बस होले होले धीरे धीरे से आकर , तुम यूं ही दिल में समाना !!
तेरे होठों को मैं अपने होठों से चुमलू ,
ये मेरी दिल की नहीं जिंदगी की चहत है !
फूलों की तरह हमेशा खुश रहे तू,
यही मेरी अदावत है !!
तारीफ करने की कोई शब्द नहीं , कि तू कितनी हसीन है !
दिल चीर कर देखू तुझे , तू बिगड़ी हुई एक मशीन है !!
तो बना ही है तो,अपनी खूबसूरती भरी घमंड को तोड़ो !
जिंदगी के बीच सफर में आके प्यार का यूं दामन ना छोड़ो!!
जिंदगी है तो जी ही लेंगे, पर याद रखना ये जालिम हसीना !
इस तरह इनकार करने से , बहुत मुश्किल होगा प्यार से जीना !!
सुना है फूलों से दिल लगाते हैं लोग, कांटो से नहीं !
प्यार देखना है तो दिल से देखो ,आंखों से नहीं!!
सुगंधित फूल बहुत देखा , एक फूल है गुलाब का !
हर पल याद आती है मुझे , मुस्कान जनाब का !!
फूलों से दिल लगा नहीं सकते , तो कांटों से दिल कैसे लगाऊं !
नफरत से सो गई है जो , उसे प्यार से कैसे जगाऊं !!
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