शायरी मदहोश 1999 /ROMANTIC SHAYARI MADHOSH 1999 /प्रेमी प्रेमिकाओं एवं दिलवालों की रोमांटिक शायरी part 15/ surendra sagar

surendra sagar
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 तुम्हे देखकर सांसे खो बैठा, इस समय का इंतजार में ! 
खात दिया था  मैं तुझे , जीवन भर का प्यार में  !! 

जवाब चाहिए था मुझे तुम्हारी, इजहार या इंकार की! 
 कितने दिन बीत गए फिर भी , तुम मुझे कुछ ना जवाब दी !!

जल्दी  मिलेगी जवाब सोच कर, मैं तुझ से फरियाद कि! 
मालूम न था  हमे इतना आशु बहेगी,जितना आशु है मने पी  !! 

दोस्ती करना मेरे लिए ,जिवन भर की प्यास थी! 
सारी दुनिया को छोड़ कर मुझे, तुम्हारी  ही आस थी!! 

 तेरी बातों से लगता ता था मुझे, मै ही तेरा सनम हू!
आशिकौ की भीड मे, मै भी एक बलम हूं !!

धड़कन की हर नस नस से पूछो , मुझे तुमसे कितना प्यार है !
बिन तेरे ईजहार बिना,मेरा जिन्दगी ही बेकार है!!

तूने मेरे दिल को ऐसा तोड़ा  , जैसे टूटी हो कोई सीसा! 
ना तो मेरी जिंदगी रही ,ना रहा कोई प्यार का सा आशा
अपने आप को खो बैठा हूं मैं , करके तेरा ही इंतजार ! 
भलेही जिन्दगी थम जाए, मै करता रहूंगा तुझसे प्यार !! 

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मुझे एक कलम चाहिए, दिल की धड़कन थामने के लिए! 
मुझे हजारों गम चाहिए , आंसुओं से शायरी लिखने के लिए !!

मुझे एक साथी चाहिए, जिंदगी जीने के लिए! 
मुझे एक प्याला चाहिए ,सारे गम की जाने के लिए!!

हाथों में कलम हो, आंखों में तस्वीर उनकी !
दिल में प्यार की बातें हो , कागजों में तकदीर उनकी!!

होठों पर मुस्कान हो, लफ्जों में नाम उनकी! 
नजरों में सुबह हो , बाहों में शाम उनकी!!
                         सुरेन्द्र सागर

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