शायरी मदहोश 1999 /ROMANTIC SHAYARI MADHOSH 1999 /surendra sagar amg /प्रेमी प्रेमिकाओं एवं दिलवालों की रोमांटिक शायरी part 2/6 surendra sagar

surendra sagar
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सात फेरे लगा कर मैं , मांग तेरी सजा आता हूं !
आजीवन साथ निभाने का ,मैं यह कसम खाता हूं!!

तन्हाई मेरी दूर हुई , और मुझको मिली एक हमसफर !
 ख्वाब नहीं हकीकत है तो , मुश्किले ना होगी हमारी डगर !!

खुद अंधेरे में चलता हूं मैं , मुझ पर कोई उम्मीद मत रखना !
यकीन नहीं अंधेरे से निकलने की, कोई मेरी राह मत देखना !!

 खुद बदनसीब हूं मैं, जिसका अब तक कोई प्यार नहीं! 
मुझे दुनिया से प्यार है मगर, दुनिया को मुझ पर एतबार नहीं !!

एक हवा का झोंका आया, बिछड़ गए हम दोनों कहीं! 
शायद मिलेंगे ना कभी हम दोनों, मेरी धड़कन तो कहता यही !!

कैसे भूलू उस अतीत को, कैसे भूल जाऊं इन खयालों को! 
रो तो कैसे ,हंसो तो क्यों, मेरी बेटी चली ससुराल को ! 

बाहौ के झूलो में झूला कर इसे , 
ममता का आंचल में पाला था!
अपना फर्ज समझ कर इसे , 
अब तक मैं ही इसे संभाला था !!
 
शौप रही अपनी गुड़िया तुझे ,अब तुम ही इस के रखवाले हो !
पलकों में बिठा कर रखना इसे ,जैसे इसके प्यार निराले हो !!

हे ईश्वर तेरी रचना कैसी, क्यों अपनी पुत्री पराई है !
तू ही समझती एक मां की ममता, 
फिर क्यों मां बेटी की जुदाई है !!

बरसों से जो पलकों में थी ,आज विधाता ने उससे जुदा कीया !
आंखों के आंसू पूछती हुई वो, अपनी बेटी को  विदा दीया !!

सोता हूं जब मैं कांटो के बिस्तर में, महल के होते हैं सपने !
क्या है ख्वाब क्या है हकीकत , ना जाने क्या है मेरे अपने !!

होठों पर मुस्कान तो है ही , 
फिर कानों पे टब की चमक भी है !
निगाहों में चाहत का नशा है तो ,
सांसो में प्यार की महक भी है !!

बहुत खूबसूरत लगती है आप , 
खूबसूरती तो सजी है मुस्कानों पे !
इशारा करती है दो निगाहे आपकी ,
ना जाने आंखें हैं किस दीवानों पे!!

बहुत खुद नसीब होंगे वो ,जिनके लिए यह मुस्कान बरसती है !
इन मुस्कानों को देखकर ना जाने , कितने दीवाने तरसते हैं !!

बिखरने ना देना मुस्कान कभी , इन्हें दुपट्टे से छुपाए रखना !
नजर ना लगे किसी दीवानों की उनपे,
इन्हे होठौ में ही दबाए रखना !!

हंसते हुए हर किसी को मै, दे सकता हूं अपनी हर खुशी ! 
खुशी देने वाले कभी भला,  कैसे छीन सकता हैै किसी हंसी !! 
                                                 सुरेन्द्र सागर

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