शायरी मदहोश 1999 /ROMANTIC SHAYARI MADHOSH 1999 /surendra sagar amg /प्रेमी प्रेमिकाओं एवं दिलवालों की रोमांटिक शायरी part 2/9surendra sagar

surendra sagar
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है जितनी मस्ती भरी आहट हैतेरी ,
उतनी ही खूबसूरत है मुखड़ा तेरा! 
क्यों खामोश रखी हो थरथरा ते दो होठों को, 
 कम से कम मुझे देख कर के तुम मुस्कुरा दो जरा!!

तुम तो फूलों की खुशबू हो, 
किसको ना यह होगा यकीन !
तारीफ तो होगी ही तुम्हारी ,
तुम तो  महफिल मे हो सबसे हसीन !!

जिससे मेरी शादी हो सकती, मैं उसका दुखदायक सही! 
पर जिसे चाहता हूं , मैं उसका मैं लायक नहीं!!

हर मेहमानों का आज यहां ,
कुछ कहना मेरी अदावत है !
शौक से पधारी इस महफिल में ,
आप सबों को हमारा स्वागत !!

सदा फूलों की खुशबू में सजी रहे ,
आपकी हंसी और मुस्कान !
मैं हूं आपका एक अच्छा साथी , 
यह अटो  ही है हम साथियों की पहचान !
आए हैं बाराती यहां हम ,पल दो पल का मेहमान है !
दुल्हन की कौन है आप , 
माफ करना -हम  सब तो अनजान हैं !!

बातें करते ऐसी जैसी , लगती भोली भाली है! 
 क्या तारीफ करूं आपकी ,आप तो मेरे भैया की साली है !!

शायरी की दुनिया में रहते रहते, 
मेरे जिंदगी भी तो एक शेर है !
बनूंगा एक दिन अवश्य प्रख्यात शायर, 
पर अभी नहीं थोड़ी देर है !!

वक्त का इंतजार में ,मेरी जिंदगी अंधेर है !
गम के सागर में खो जाऊं कभी , 
फिर याद दिलाए मेरा यही शेर है !!

जितनी मीठी मुस्कान है तेरी ,
उतना ही कमसिन तेरी अदा है !
जितनी खूबसूरत तुम्हारी चेहरा है , 
उनसे कहीं ज्यादा आप बेवफा  है!!

वह वक्त था जब ,वह मुझे छुप छुप कर देखा करते थे! 
आज मैं उनके कदमों में हूं ,पर वह मुझे अनदेखा करते हैं!!

ऐसा भी था कभी, वह मुझे  मिलने दिन रात तड़पते थे! 
आज जब मैं सामने आ जाऊं तो ,वह अपना मुंह फेर लेते हैं !!

कितनी तारीफ की है आपकी ,
फिर भी कहती है यह मेरी अदावत नहीं !
स्वागत है ईस महफ़िल मै आपका,
समझिए ना ईसे बगावत कहीं!! 

तुम तो आसमां के वह चांद हो ,
जिस की रोशनी को एक नहीं हजार निहारते हैं! 
एक मास ही सही पर ,सबको सवार थे हैं !!

तुम तो स्वर्ग की अप्सरा थी कभी, 
पर अब तो इस धरती की परी हो ,
चमन की फूल थी कभी ,पर अब तुम फूलों की लड़ी हो!! 
        सुरेन्द्र सागर

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