शायरी मदहोश 1999 /ROMANTIC SHAYARI MADHOSH 1999 /surendra sagar amg /प्रेमी प्रेमिकाओं एवं दिलवालों की रोमांटिक शायरी part 2/8 surendra sagar

surendra sagar
0
आज ना वह बेवफा थी ,ना मैं खफा था !
दूर सफर से मैं आ रहा था !! 
पानी का प्यासा ,और तन मन से थका था !!! 
 अब क्या होगा मुझे क्या पता था !!!! 

संजोग बस, मुलाकात हुई वो! 
इंसानियत की अदा ,दिखाती चली गई वो! ! 
अदाओं को देख मैं ,पल भर के लिए रुका था !!! 
अथार्त को देख में, अतीत को भूल चुका था !!!! 

साथ साथ कभी, हम पढ़ते थे !
बातों बातों में उनसे झगड़ते थे!!
ना जाने उसे , किस चीज की घमंड थी !!! 
खामोश मन ,और शर्मीली नयन थी !!!!

उनके नयन को देख मैं ,खुद शरमाया ! 
उसे कुछ कहने से , मैं स्वयं घबराया!!
कदम कदम पर, उसे हम मिलते थे !!! 
शर्म का पर्दा , हम पर गिरते थे !!!!

स्कूल बदली, साथ छूट गया! 
तन्हाइयों से मैं जुट गया  !! 
हंसती खीलती वो आती थी नजर!!!
हर दिन साथियों से मुझे ,मिलता था खबर !!!!
उनकी अदाओं पे हजार दीवाने चलते थे! 
नजारें देख में अपनों से जलते थे !!
हर दीवानों पर , उनकी अदा बह गई !!!
हमेशा के लिए मैं उनसे खफा रह गया !!!!

सुना था मैं 1 दिन उनकी कहानी बेवफा की! 
मैं तो क्या ,उस पर दुनिया खफा थी!!
समय बदली ,उसकी  तकदीर बदल गया !!!
उनके हर दिवाने, खुद पे सम्हल गया !!!! 

वे वफा ही सही , मुझे खफा से क्या फायदा!!
तकदीर बदले उनकी , बदल दिया अपना इरादा !!
कौन कब मिले ,किसको क्या पता है!!!
सुख दुख देने वाले स्वयं वो खुदा है!!!! 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
To Top