शायरी मदहाेश 1999 /new madhos 2021/दिलचस्प शायरी

surendra sagar
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मांग ले मुझसे, दिल की धड़कन कोई,
 हस हस कर उसे मैं दे दूंगा !
एक चांस मुझे भी दे दो साथियों, 
मैं आसमां छू कर दिखा दूंगा !!

ना है इस तन का दवा कोई, 
नाही कोई अतीत का गवाह है! 
बस एक आपकी यादें हैं मेरे दिल में ,
और साथ में बसंत का  हवा है !!

कहता हूं मैं इन हवाओं से ,
 मेरी हालत उनको बता जाकर !
ले आए खुशियां की बातें कोई, 
तन्हा मिट जाए वह खुशियां पाकर !!

खुश रहे 100 साल तक , रब से मांगु और क्या दुवाई! 
नई साल का शुभकामनाओं सहित, 
आपको है मेरा हार्दिक बधाई !!

अगर कोई दे गम तुझे, वो गम बन जाए खुशियां तेरी! 
ये मेरे दोस्त खुशहाल रहे, रब से यही दुआ है मेरी!!

कहां-कहां के अजजनवी थे हम लोग, 
यहां एक दूसरे से मिले हैं जरूर !
तन से बिछड़ सकते हैं मगर , 
मन से कभी होंगे ना हम दूर !!

क्या करें क्या कहे मैं आपसे ,
कुछ कहना तो होगा मुझे जरूर, 
बातों बातों में कुछ कह भी दे तो , 
बुरा ना मानना यह मेरे हुजुर!!

अब तक की जिंदगी में  मै, अनेकों गमो से खेला हूं!
 कोई नहीं है साथ मेरा, बस मैं तन्हा अकेला हूं !!

प्यार किया धोखा भी दिया ,
और दिखाती गई अपनी कमसिन अदा !
जीना चाहा जीने ना दिया ,मरने से भी रोक लिया ओ बेवफा !!
इज्जत से कभी जीने ना दिया, बदनाम कर दिया वो बेवफा! 
गम दिया तन्हा भी किया , मुझ को कर दिया  दुनिया से खफा !!
लिख दूंगा हर हकीकत को में, अगर कोई अच्छी बात हो तो !मेरे लिए कामयाबी दूर नहीं ,अगर आपका साथ हो तो !!

लम्हा लम्हा दिन हफ्ता, गुजर गए महीने साल! 
आई फागुनमा रंग जमाने ,सजनियां के गोरे गाल !!

गोरे गोरे गालों पर गोरी, ले लो थोड़ी रंग !
सर से पांव तक रंग जाएगी , तेरी यह गोरे गोरे  अंग !!

मैं एक साधारण मानव हूं , ना हू कोई राम अवतार !
महफिल जमाने से पहले मैं ,करता हूं आप सभी को नमस्कार!!

कहां मिले कैसे मिले ,आओ कर ले बातें 4 ! 
आज मिले या कल मिले ,पहले तो है मेरा नमस्कार !!

अचानक आप सबों का आगमन होना, 
 यह तो बहुत ही बड़ी चमत्कार है! 
अब क्या तारीफ करें आपकी, 
बस आप सबौ को  मेरा नमस्कार है!!
मकसद बिना जिंदगी यहां, जीना ही है बेकार! 
अब कैसे जियूँ यहां पर मैं , मेरा तो ना कामयाबी है ना प्यार !!

किस पर ऐतबार करूं मैं ,अब किसी करूंगा मैं प्यार! 
लाखों में चुना था जिसे , जब वही हो गया बेकार !!

अब की फैशन जवानी में यहां,  
ना कोई सावित्री है ना कोई सीता है !
मर्द तो मर्द है ,पर यहां तो औरतें भी शराब पीता है!!

किया जिस तरह बेवफाई उसने , मेरा दिल हि टूट गया !किसकी करूं शिकायत अब ,मुझे तो अपनों ने ही लूट लिया !!

अपना हो करके भी उसने , मेरा प्यार छिन लिया !
सुखचैन हिना तो छीना मगर, 
उसने मेरा हमदर्द यार भी छीन लिया !!

अपना वही है जो ,अपनापन दिखाते हैं !
भाई वही है जो , उंगली पकड़ कर चलना सिखाते हैं! 

दुनिया में कुछ कर दिखाने का ,मेरा भी एक सपना था !
मुझे बर्बाद करने वाले कोई , गैर नहीं मेरा अपना था !!

क्या सुखचैन देगा तु मुझे  वो बेरहम , 
चाहो तुम जितना दे दो मुझे गम!! 
खुशी से सहेंगे तुम्हारे हर एक सितम ,
मगर दुनिया से होगा ना कभी मेरा प्यार कम!!

भूल गया हूं अपनी अतीत को मैं, 
इससे कभी ताजा करने की कोशिश ना करना! 
सर से पांव तक  - नंगा हो जाएगा तू वरना !!

🏠😘😊
 

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